खूब पढ़ी कानून की किताब, पर वकालत नहीं की, बिजनेस करना था इसलिए चपरासी भी बने

पिडिलाइट इंडस्ट्री के फाउंडर बलवंत पारेख ने कानून की पढ़ाई की, लेकिन उनका सपना बिजनेसमैन बनने का था इसलिए उन्होंने नौकरी नहीं की. 1959 में उद्योग जगत में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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